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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में ESTIC 2025 का उद्घाटन किया; ₹1 लाख करोड़ RDI योजना फंड लॉन्च किया

3 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित Emerging Science, Technology and Innovation Conclave (ESTIC) 2025 का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम 3 से 5 नवंबर 2025 तक चला।

उद्घाटन समारोह के दौरान, पीएम मोदी ने कई प्रमुख पहलें शुरू कीं, जिनमें शामिल हैं —

  • ₹1 लाख करोड़ का Research, Development and Innovation (RDI) Scheme Fund का शुभारंभ,

  • Anusandhan National Research Foundation (ANRF) (जो ANRF अधिनियम, 2023 के तहत स्थापित की गई है) के संचालन की घोषणा,

  • तथा भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी लक्ष्यों को दर्शाने वाली कॉफी टेबल बुक और विज़न डॉक्युमेंट का अनावरण।


Emerging Science, Technology and Innovation Conclave (ESTIC) 2025 के बारे में

थीम (Theme):
विकसित भारत 2047 – सतत नवाचार, तकनीकी प्रगति और सशक्तिकरण में अग्रणी
(“Viksit Bharat 2047 – Pioneering Sustainable Innovation, Technological Advancement and Empowerment”)

मार्गदर्शन (Under the Guidance of):
यह 3-दिवसीय सम्मेलन भारत सरकार (GoI) के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) के कार्यालय के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।

आयोजक (Organiser):
ESTIC 2025 एक वार्षिक प्रमुख आयोजन है जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology – DST), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MoS&T) के तहत आयोजित करता है।
इसे इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल्स (ARCI), हैदराबाद (तेलंगाना) के सहयोग से आयोजित किया गया।


मुख्य बिंदु (Key Points Table)

विषयविवरण
कार्यक्रम का नामEmerging Science, Technology and Innovation Conclave (ESTIC) 2025
उद्घाटनकर्ताप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
आयोजन स्थलभारत मंडपम, नई दिल्ली
आयोजन तिथि3 से 5 नवंबर 2025
थीमविकसित भारत 2047 – सतत नवाचार, तकनीकी प्रगति और सशक्तिकरण में अग्रणी
प्रमुख पहलें₹1 लाख करोड़ RDI योजना फंड लॉन्च, ANRF संचालन, कॉफी टेबल बुक एवं विज़न डॉक्युमेंट अनावरण
आयोजनकर्ताविज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), MoS&T
सहयोगी संस्थाARCI, हैदराबाद
मार्गदर्शनप्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) का कार्यालय, भारत सरकार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में भारत के पहले डिजिटल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया

नवंबर 2025 में, प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी ने नवा रायपुर अटल नगर, छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह मेमोरियल और ट्राइबल फ्रीडम फाइटर्स म्यूजियमभारत का पहला डिजिटल जनजातीय संग्रहालय (India’s 1st Digital Tribal Museum) — का उद्घाटन किया।
यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ राज्य के 25वें स्थापना दिवस (1 नवंबर 2025) के अवसर पर आयोजित किया गया।

इस मौके पर पीएम मोदी ने म्यूज़ियम पोर्टल और ई-बुक ‘Aadi Shourya’ लॉन्च की, साथ ही शहीद वीर नारायण सिंह की घोड़े पर सवार मूर्ति का अनावरण किया जो संग्रहालय स्थल पर स्थापित की गई है।


India’s 1st Digital Tribal Museum के बारे में

नामकरण (Named After Tribal Leader):
यह नया डिजिटल संग्रहालय छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद स्वतंत्रता सेनानी और सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।

मुख्य विशेषताएँ (Key Features):

  • यह संग्रहालय ₹50 करोड़ की लागत से बनाया गया है।

  • यह 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें 14 गैलरीज़ में लगभग 650 मूर्तियाँ प्रदर्शित की गई हैं।

  • इसमें आधुनिक डिजिटल तकनीकों जैसे Visual Effects (VFX), डिजिटल प्रोजेक्शन, इंटरैक्टिव स्क्रीन, और QR कोड्स का उपयोग किया गया है ताकि आगंतुकों को एक अद्वितीय अनुभव मिल सके।

वास्तुकला (Architecture):
संग्रहालय के प्रवेश द्वार को सरगुजा क्षेत्र के कारीगरों द्वारा बनाई गई जटिल लकड़ी की नक्काशी से सजाया गया है।
साथ ही यहाँ साल, महुआ और साजा पेड़ों की डिजिटल प्रतिकृतियाँ बनाई गई हैं जिनकी डिजिटल पत्तियाँ 14 जनजातीय विद्रोहों की कहानियाँ सुनाती हैं


मुख्य बिंदु (Key Points Table)

विषयविवरण
कार्यक्रमभारत का पहला डिजिटल जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय
उद्घाटनकर्ताप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
स्थाननवा रायपुर अटल नगर, छत्तीसगढ़
आयोजन तिथि1 नवंबर 2025
अवसरछत्तीसगढ़ का 25वां स्थापना दिवस
समर्पितशहीद वीर नारायण सिंह
लागत₹50 करोड़
क्षेत्रफल10 एकड़
गैलरी14 गैलरी, 650 मूर्तियाँ
तकनीकVFX, डिजिटल प्रोजेक्शन, इंटरैक्टिव स्क्रीन, QR कोड्स
अतिरिक्त तत्वई-बुक ‘Aadi Shourya’, म्यूज़ियम पोर्टल, वीर नारायण सिंह की घुड़सवार प्रतिमा
निर्माणसरगुजा के कारीगरों की पारंपरिक नक्काशी और डिजिटल पेड़ों के साथ

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MeitY ने IndiaAI Mission के तहत “India AI Governance Guidelines” जारी कीं

नवंबर 2025 में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने “India AI Governance Guidelines – Enabling Safe and Trusted AI Innovation” जारी कीं।
ये दिशानिर्देश IndiaAI Mission के तहत भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के सुरक्षित, समावेशी और जिम्मेदार उपयोग के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करते हैं।

इन AI गवर्नेंस गाइडलाइंस का अनावरण भारत सरकार (GoI) के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) प्रो. अजय कुमार सूद द्वारा नई दिल्ली में किया गया।
यह लॉन्च कार्यक्रम आगामी India–AI Impact Summit 2026 (19–20 फरवरी 2026, नई दिल्ली) का एक प्रस्तावना चरण (precursor) माना जा रहा है।


India AI Governance Guidelines के बारे में

उद्देश्य (Objective):
इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य नवाचार (innovation) और नियमन (oversight) के बीच संतुलन बनाना है।
यह मौजूदा कानूनी ढांचे (existing legal frameworks) के साथ सामंजस्य बैठाता है, और कोई नया कानून लागू करने की आवश्यकता नहीं रखता।

तैयारी (Drafted by):
यह गाइडलाइंस एक उच्च-स्तरीय समिति द्वारा तैयार की गई हैं, जिसकी अध्यक्षता प्रो. बालारामन रविंद्रन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान–मद्रास (IIT–Madras, तमिलनाडु) के प्रोफेसर ने की।
इस समिति में कई अन्य नीति विशेषज्ञ (policy experts) भी शामिल थे।


IndiaAI Hackathon के विजेता

कार्यक्रम के दौरान, IndiaAI Hackathon for Mineral Targeting के विजेताओं की घोषणा भी की गई।
यह हैकाथॉन IndiaAI Mission के Applications Development Pillar के तहत आयोजित किया गया था, जो भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (Geological Survey of India – GSI), खान मंत्रालय (Ministry of Mines) के सहयोग से संपन्न हुआ।


मुख्य बिंदु (Key Points Table)

विषयविवरण
कार्यक्रमIndia AI Governance Guidelines का लॉन्च
आयोजनकर्ताइलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY)
लॉन्च की तिथिनवंबर 2025
अनावरणकर्ताप्रो. अजय कुमार सूद, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA), भारत सरकार
पहल का नामIndiaAI Mission
उद्देश्यसुरक्षित, विश्वसनीय और जिम्मेदार AI नवाचार को बढ़ावा देना
मसौदा तैयार करने वाली समितिप्रो. बालारामन रविंद्रन (IIT–Madras) की अध्यक्षता में
आगामी कार्यक्रमIndia–AI Impact Summit 2026 (19–20 फरवरी, नई दिल्ली)
अन्य प्रमुख घोषणाIndiaAI Hackathon for Mineral Targeting के विजेताओं की घोषणा
सहयोगी संस्थानGeological Survey of India (GSI), Ministry of Mines

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भारत ने ताजिकिस्तान के ऐनी एयरबेस (Ayni Airbase) से वापसी की घोषणा की

अक्टूबर 2025 में भारत ने ताजिकिस्तान स्थित अपने ऐनी एयरबेस (Ayni Airbase) से औपचारिक रूप से वापसी (withdrawal) पूरी कर ली, जिससे मध्य एशिया (Central Asia) में भारत की लगभग दो दशक लंबी सामरिक उपस्थिति का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया।

भारत का यह निर्णय अफगानिस्तान की बदलती सुरक्षा स्थिति, भू-राजनीतिक परिस्थितियों में परिवर्तन, और विदेशों में रक्षा ढांचे के पुनर्गठन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लिया गया।


What?

भारत के सैन्य कर्मियों की तैनाती समाप्त – ऐनी एयरबेस से भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी

एयरबेस का नाम: ऐनी (Ayni) / गिस्सार एयरड्रोम (Gissar Aerodrome)
स्थान: दुशांबे (Dushanbe), ताजिकिस्तान के पश्चिम में
संयुक्त संचालन: भारत और ताजिकिस्तान (सन् 2000 के दशक की शुरुआत से)


वापसी के प्रमुख कारण (Key Reasons)

1. द्विपक्षीय समझौते की समाप्ति (End of Bilateral Agreement):
2002 में भारत और ताजिकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित समझौते के तहत भारतीय वायुसेना (IAF) ने इस एयरबेस को पुनर्जीवित किया था।
हालांकि, 2022 में यह द्विपक्षीय समझौता समाप्त हो गया, जिसके बाद वहां तैनात भारतीय कर्मियों को वापस बुला लिया गया।

2. उत्तरी गठबंधन (Northern Alliance) का पतन:
2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर पूर्ण कब्जा किए जाने और Northern Alliance के विघटन के बाद, इस एयरबेस की सामरिक उपयोगिता (strategic utility) लगभग समाप्त हो गई।


Ayni Airbase के बारे में

स्थान (Location):
ऐनी एयरबेस दुशांबे, ताजिकिस्तान की राजधानी, से लगभग 15 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।

भारत का पूर्व एयरबेस (Previous Airbase):
भारत ने 1998 में फरखोर (Farkhor) में अपना पहला विदेशी एयरबेस स्थापित किया था, जो 2008 तक संचालित रहा।

द्विपक्षीय समझौता (Bilateral Agreement):
2002 में भारत सरकार (GoI) और ताजिकिस्तान सरकार के बीच एयरबेस के संयुक्त संचालन के लिए एक समझौता हुआ, जिससे यह भारत की पहली और एकमात्र विदेशी सैन्य स्थापना (overseas military installation) बनी।

भारत द्वारा निवेश (Investment by India):
भारतीय वायुसेना (IAF) और सीमा सड़क संगठन (BRO) ने मिलकर USD 70–100 मिलियन का निवेश किया था।
इसके तहत एयरफील्ड का पुनर्निर्माण किया गया और इसकी रनवे की लंबाई 3,200 मीटर तक बढ़ाई गई।


मुख्य बिंदु (Key Points Table)

विषयविवरण
कार्यक्रमऐनी एयरबेस (Ayni Airbase) से भारत की वापसी
स्थानदुशांबे के पश्चिम में, ताजिकिस्तान
वापसी पूर्णअक्टूबर 2025
संयुक्त संचालनभारत और ताजिकिस्तान (2000 के दशक की शुरुआत से)
समझौते की समाप्ति2022
प्रमुख कारणद्विपक्षीय समझौते की समाप्ति, उत्तरी गठबंधन का पतन
पहला विदेशी बेसफरखोर (1998–2008)
रनवे लंबाई3,200 मीटर
निवेशUSD 70–100 मिलियन
सहयोगी संस्थानभारतीय वायुसेना (IAF), सीमा सड़क संगठन (BRO)

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EESL आंध्र प्रदेश में भारत का सबसे बड़ा जियोथर्मल एनर्जी पायलट प्रोजेक्ट स्थापित करेगा

नवंबर 2025 में, एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) — जो विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power – MoP) के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र की संयुक्त उपक्रम कंपनी (Public Sector JV) है — ने घोषणा की कि वह भारत का सबसे बड़ा Geothermal Energy Technology (GET) पायलट प्रोजेक्ट आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh – AP) में स्थापित करेगी।

यह पहल भारत के पर्यटन क्षेत्र में स्वच्छ और ऊर्जा-कुशल तकनीकों (Clean & Energy-Efficient Technologies) को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस पायलट प्रोजेक्ट को आंध्र प्रदेश के दो प्रमुख पर्यटन स्थलों — अराकू वैली (Araku Valley) और विशाखापत्तनम (Visakhapatnam/Vizag) — में लागू किया जाएगा।


What

भारत का सबसे बड़ा Geothermal Energy Technology (GET) पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा

स्थान (Where): अराकू वैली और विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश
घोषणा करने वाला (By Whom): एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL), विद्युत मंत्रालय के तहत
उद्देश्य (Objective): स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों के माध्यम से सतत पर्यटन अवसंरचना (Sustainable Tourism Infrastructure) को बढ़ावा देना


तकनीक और लाभ (Technology & Key Benefits)

प्रयुक्त तकनीक (Technology Used):

  • Earth Air Tunnel (EAT) Systems

  • Ground Source Heat Pumps (GSHP)

सिद्धांत (Principle):
यह तकनीक पृथ्वी के सतह के नीचे (लगभग 7–8 मीटर की गहराई) पर मौजूद स्थिर तापमान का उपयोग करती है ताकि इमारतों के लिए पर्यावरण-अनुकूल हीटिंग और कूलिंग प्रदान की जा सके।

मुख्य लाभ (Key Benefits):

  • ऊर्जा खपत में 50% से अधिक की कमी

  • ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में उल्लेखनीय गिरावट

  • कम रखरखाव लागत

  • पर्यटकों के लिए बेहतर आरामदायक वातावरण

पे-बैक अवधि (Payback Period):
सिर्फ 3–4 वर्ष, जिससे यह तकनीक होटलों और पर्यटन अवसंरचना के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक (viable) बनती है।


मुख्य बिंदु (Key Points Table)

विषयविवरण
परियोजना का नामभारत का सबसे बड़ा जियोथर्मल एनर्जी टेक्नोलॉजी (GET) पायलट प्रोजेक्ट
घोषित करने वाली संस्थाएनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL), विद्युत मंत्रालय
राज्यआंध्र प्रदेश
स्थानअराकू वैली और विशाखापत्तनम
उद्देश्यस्वच्छ ऊर्जा तकनीकों से सतत पर्यटन अवसंरचना को बढ़ावा देना
उपयोग की गई तकनीकेंEarth Air Tunnel (EAT) और Ground Source Heat Pump (GSHP)
ऊर्जा बचत50% से अधिक
पे-बैक अवधि3–4 वर्ष
प्रमुख लाभकम GHG उत्सर्जन, कम रखरखाव, ऊर्जा दक्षता और पर्यटक सुविधा में सुधार

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आईआईटी रोपड़ ने iDG10 सॉल्यूशंस के साथ सबसी पाइपलाइन डिज़ाइन प्रोग्राम हेतु समझौता किया

परिचय :

नवंबर 2025 में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रोपड़ ने iDG10 सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
यह समझौता भारत में पहले उद्योग-आधारित दीर्घकालिक सहयोग की शुरुआत है, जो Subsea Pipeline Design Technology (SPDT) के क्षेत्र में किया गया है।
यह कदम भारत में समुद्री पाइपलाइन डिज़ाइन अनुसंधान और औद्योगिक नवाचार को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
घटनाIIT रोपड़ और iDG10 सॉल्यूशंस के बीच समझौता (MoU)
उद्देश्यSubsea Pipeline Design Technology (SPDT) कार्यक्रम की स्थापना
अवधि60 माह (5 वर्ष)
प्रशिक्षण संरचना5 दिन की कक्षा प्रशिक्षण और 21 दिन का लाइव प्रोजेक्ट
हस्ताक्षरकर्ताप्रो. राजीव आहुजा (निदेशक, IIT रोपड़) और सिल्वी फ्रांसिस फ़ारनांड (सह-संस्थापक, iDG10)
मुख्य उद्देश्यअनुसंधान, प्रशिक्षण और औद्योगिक परामर्श को बढ़ावा देना
केन्द्रित क्षेत्रअकादमिक विशेषज्ञता और औद्योगिक नवाचार का एकीकरण

समझौते के बारे में (About the MoU):

यह साझेदारी भारत में Subsea Pipeline Design क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण और परामर्श क्षमताओं को विकसित करने के लिए की गई है।
IIT रोपड़ की अकादमिक विशेषज्ञता और iDG10 सॉल्यूशंस की औद्योगिक तकनीक के संयोजन से यह पहल भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी।

इस कार्यक्रम की अवधि 5 वर्ष (60 माह) की होगी, जिसके अंतर्गत छात्रों और पेशेवरों को 5 दिन का सैद्धांतिक प्रशिक्षण और 21 दिन का लाइव औद्योगिक प्रोजेक्ट पूरा करना होगा।
यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को वास्तविक सबसी डिज़ाइन चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने का अनुभव प्रदान करेगा।


महत्व :

  • भारत में पहली बार Subsea Pipeline Design Technology (SPDT) पर औद्योगिक सहयोग।

  • स्वदेशी तकनीकी क्षमताओं के विकास को बढ़ावा।

  • विदेशी तकनीकों पर निर्भरता में कमी।

  • इंजीनियरिंग और ऊर्जा क्षेत्र में नए अनुसंधान अवसर।

  • उद्योग और शिक्षा के बीच मजबूत समन्वय।

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भारत–इज़राइल रक्षा सहयोग पर 17वीं संयुक्त कार्यकारी समूह (JWG) बैठक इज़राइल में संपन्न

परिचय :

नवंबर 2025 में, भारत–इज़राइल संयुक्त कार्यकारी समूह (JWG) की 17वीं बैठक इज़राइल के तेल अवीव (Tel Aviv) में आयोजित की गई।
इस बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और इज़राइल के रक्षा मंत्रालय (IMOD) के महानिदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) आमिर बराम (Amir Baram) ने की।

बैठक के दौरान, भारत और इज़राइल ने रक्षा सहयोग पर एक नया समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को और सशक्त बनाना है।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
कार्यक्रम17वीं भारत–इज़राइल संयुक्त कार्यकारी समूह (JWG) बैठक
स्थानतेल अवीव, इज़राइल
सह-अध्यक्ष (Co-Chairs)भारत – राजेश कुमार सिंह (रक्षा सचिव)
इज़राइल – मेजर जनरल (से. नि.) आमिर बराम (महानिदेशक, रक्षा मंत्रालय)
समझौता (MoU)द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को सशक्त करने हेतु नया समझौता ज्ञापन
मुख्य फोकस क्षेत्रकृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, अनुसंधान एवं विकास (R&D), औद्योगिक सहयोग, और प्रशिक्षण

बैठक की मुख्य बातें (Meeting Highlights):

  • रक्षा समीक्षा (Defence Review):
    दोनों देशों ने चल रही रक्षा सहयोग पहल की समीक्षा की और पारस्परिक लाभों को रेखांकित किया।

  • भविष्य सहयोग (Future Collaboration):
    बैठक में तकनीकी क्षमताओं, परिचालन तैयारी और औद्योगिक साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा हुई।

  • सुरक्षा सहयोग (Security Cooperation):
    दोनों पक्षों ने साझा सुरक्षा चुनौतियों, विशेष रूप से आतंकवाद के खतरे पर विचार-विमर्श किया और इसे खत्म करने के लिए संयुक्त प्रतिबद्धता दोहराई।

  • समझौता ढांचा (MoU Framework):
    नया MoU सह-विकास, सह-उत्पादन, प्रशिक्षण और रणनीतिक रक्षा संवादों के लिए एकीकृत ढांचा प्रदान करता है।

  • प्रमुख सहयोग क्षेत्र (Key Cooperation Areas):
    समझौता रणनीतिक संवाद, प्रशिक्षण, रक्षा औद्योगिक सहयोग, अनुसंधान एवं विकास (R&D), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा और तकनीकी नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा।

  • द्विपक्षीय वार्ता (Bilateral Talks):
    भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने इज़राइल के रक्षा मंत्री इज़राइल कैट्ज़ (Israel Katz) के साथ बैठक के परिणामों पर चर्चा की ताकि दोनों देशों के रक्षा संबंध और मजबूत किए जा सकें।


रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence – MoD) के बारे में:

पदनामनिर्वाचन क्षेत्र
रक्षा मंत्री (Union Minister)राजनाथ सिंहलखनऊ, उत्तर प्रदेश (UP)
राज्य मंत्री (MoS)संजय सेठरांची, झारखंड

महत्व :

  • भारत और इज़राइल के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी व औद्योगिक नवाचार को प्रोत्साहन।

  • आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग को बढ़ावा।

  • AI, साइबर सुरक्षा और R&D क्षेत्रों में संयुक्त प्रगति।

  • दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा।

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यूएनईपी की ‘उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट (EGR) 2025’ : वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन 2024 में रिकॉर्ड 57.7 गीगाटन CO₂e तक पहुंचा

परिचय :

नवंबर 2025 में, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने अपनी 16वीं वार्षिक रिपोर्ट ‘The Emissions Gap Report (EGR) 2025: Off Target – Continued Collective Inaction Puts Global Temperature Goal at Risk’ जारी की।
रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन रिकॉर्ड 57.7 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य (GtCO₂e) तक पहुंच गया, जो 2023 की तुलना में 2.3% की वृद्धि दर्शाता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत (+0.165 GtCO₂e) ने वर्ष-दर-वर्ष (Y-o-Y) उत्सर्जन में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की, जिसके बाद चीन, रूस, इंडोनेशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) का स्थान रहा।


मुख्य निष्कर्ष (Key Findings of EGR 2025):

विषयविवरण
रिपोर्ट जारी करने वाली संस्थासंयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)
रिपोर्ट का नामThe Emissions Gap Report (EGR) 2025: Off Target
रिलीज वर्षनवंबर 2025
कुल वैश्विक GHG उत्सर्जन (2024)57.7 GtCO₂e
वृद्धि दर2023 की तुलना में 2.3% अधिक
उत्सर्जन में सर्वाधिक वृद्धि वाले देशभारत, चीन, रूस, इंडोनेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका
सबसे बड़ा उत्सर्जन घटाने वाला क्षेत्रयूरोपीय संघ (EU)

तापमान अनुमान (Temperature Projection):

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि सभी देश अपनी Nationally Determined Contributions (NDCs) पूरी तरह लागू भी कर लें, तो भी औसत वैश्विक तापमान 2100 तक पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2.3°C से 2.5°C अधिक बढ़ सकता है।
यह अनुमान पिछले वर्ष (2024) की रिपोर्ट में बताए गए 2.6°C से 2.8°C की तुलना में मामूली कमी दर्शाता है।


वैश्विक उत्सर्जक (Global Emitters):

रिपोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित देश सबसे बड़े वैश्विक उत्सर्जक हैं –
चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ (EU), रूस और इंडोनेशिया।
इनमें से केवल यूरोपीय संघ (EU) ने 2024 में अपने उत्सर्जन में कमी दर्ज की।

सबसे तेज़ उत्सर्जन वृद्धि दर:

  • इंडोनेशिया – 4.6%

  • भारत – 3.6%

  • चीन – 0.5%


प्रति व्यक्ति उत्सर्जन (Per Capita Emissions):

रिपोर्ट में कहा गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय संघ (EU) में प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वैश्विक औसत 6.4 टन CO₂e से अधिक है।
वहीं भारत और इंडोनेशिया में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत से कम बना हुआ है।


उत्सर्जन कटौती लक्ष्य (Emissions Reduction Targets):

रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि

  • 2°C लक्ष्य के अनुरूप रहने के लिए देशों को 2035 तक 2019 के स्तर से 35% उत्सर्जन घटाना होगा,

  • जबकि 1.5°C लक्ष्य के लिए 55% की कमी आवश्यक है।


महत्व (Significance):

  • यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध वैश्विक सामूहिक कार्रवाई की कमी को उजागर करती है।

  • भारत और इंडोनेशिया जैसे विकासशील देशों में तीव्र औद्योगिकीकरण के कारण उत्सर्जन में वृद्धि देखी गई।

  • रिपोर्ट देशों से आग्रह करती है कि वे स्वच्छ ऊर्जा, नवीकरणीय संसाधनों और हरित तकनीकों को अपनाएं।

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एनवीडिया (Nvidia) ने इंडिया डीप टेक एलायंस (IDTA) में संस्थापक सदस्य के रूप में किया प्रवेश; समूह ने जुटाए 850 मिलियन अमेरिकी डॉलर

परिचय :

नवंबर 2025 में, विश्व की अग्रणी चिप निर्माता कंपनी एनवीडिया (Nvidia Corporation) ने अन्य निवेशकों के साथ मिलकर इंडिया डीप टेक एलायंस (India Deep Tech Alliance – IDTA) में एक संस्थापक सदस्य और रणनीतिक सलाहकार (Strategic Advisor) के रूप में भागीदारी की।

इस गठबंधन (Alliance) ने अपने सदस्यों से 850 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹7,100 करोड़) की नई पूंजी प्रतिबद्धताएं (Capital Commitments) प्राप्त की हैं, जिसका उद्देश्य भारत के डीप-टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम को सशक्त बनाना है।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
घटनाएनवीडिया (Nvidia) ने इंडिया डीप टेक एलायंस (IDTA) में प्रवेश किया
IDTA की स्थापनासितंबर 2025
प्रारंभिक पूंजी प्रतिबद्धताUSD 1 बिलियन
नई पूंजी प्रतिबद्धताUSD 850 मिलियन
संस्थापक सदस्यCelesta Capital, Accel, Blume Ventures, Gaja Capital, Premji Invest
नए सदस्यQualcomm Ventures, Activate AI, InfoEdge Ventures, Chiratae Ventures, Kalaari Capital
एनवीडिया की भूमिकासंस्थापक सदस्य एवं रणनीतिक सलाहकार
उद्देश्यभारत के डीप-टेक स्टार्टअप्स को फंडिंग और तकनीकी सहायता प्रदान करना

इंडिया डीप टेक एलायंस (IDTA) के बारे में:

स्थापना:
IDTA की स्थापना सितंबर 2025 में 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रारंभिक प्रतिबद्धता के साथ की गई थी।
यह एक स्वैच्छिक गठबंधन (Voluntary Alliance) है, जिसमें सदस्य अपनी स्वतंत्र निवेश रणनीतियों के तहत 5–10 वर्षों की अवधि में निवेश करते हैं, बिना पूंजी को एकत्र किए।

उद्देश्य:
भारत के अनुसंधान-आधारित (Research-driven) डीप-टेक स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करना और फंडिंग गैप को कम करना।
इसका लक्ष्य है भारत को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी नवाचार (High-end Innovation) के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की दिशा में अग्रसर करना।


मुख्य फोकस क्षेत्र (Focus Areas):

  • सेमीकंडक्टर (Semiconductors)

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI)

  • अंतरिक्ष एवं रोबोटिक्स (Space & Robotics)

  • क्वांटम कंप्यूटिंग (Quantum Computing)

  • उन्नत इंजीनियरिंग (Advanced Engineering)


महत्व (Significance):

  • एनवीडिया जैसे वैश्विक तकनीकी दिग्गज की भागीदारी से भारत के डीप-टेक सेक्टर को नई दिशा मिलेगी।

  • IDTA भारत में तकनीकी अनुसंधान, नवाचार और स्टार्टअप निवेश को बढ़ावा देगा।

  • इससे भारत की “Viksit Bharat 2047” दृष्टि के अनुरूप स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास को बल मिलेगा।

  • यह पहल भारत को AI और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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स्वच्छ सर्वेक्षण 2024–25: मदुरै (तमिलनाडु) भारत का सबसे गंदा शहर घोषित

परिचय :

नवंबर 2025 में, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs – MoHUA) ने स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) 2025 की रैंकिंग जारी की।
इस रैंकिंग के अनुसार, तमिलनाडु (Tamil Nadu) का शहर मदुरै (Madurai), 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले भारतीय शहरों में सबसे गंदा शहर (Dirtiest City) घोषित किया गया है।

मदुरै को कुल 12,500 में से केवल 4,823 अंक प्राप्त हुए।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
रिपोर्ट जारी करने वाला मंत्रालयआवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA)
सर्वेक्षण का नामस्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) 2025
संस्करण (Edition)9वां संस्करण (2024–25)
शहरमदुरै, तमिलनाडु
कुल अंक12,500 में से 4,823
SS 2024 स्कोर10,000 में से 4,643
GFC (Garbage Free City) स्कोर1,300 में से 0
ODF (Open Defecation Free) स्कोर1,000
शहर श्रेणी10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर

स्वच्छ सर्वेक्षण (Swachh Survekshan) के बारे में:

परिचय:
स्वच्छ सर्वेक्षण विश्व का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण (Urban Cleanliness Survey) है।
यह शहरों का मूल्यांकन कचरा प्रबंधन, स्वच्छता बुनियादी ढांचे और जनभागीदारी के आधार पर करता है।

स्थापना:
यह सर्वेक्षण स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (Swachh Bharat Mission-Urban) के तहत 2016 में शुरू किया गया था।

संस्करण:
2024–25 का सर्वेक्षण इसका 9वां संस्करण है।
इसका फोकस Reduce–Reuse–Recycle (3R) सिद्धांत पर है, ताकि टिकाऊ शहरी विकास (Sustainable Urban Development) को बढ़ावा दिया जा सके।

मूल्यांकन का दायरा:
इस संस्करण में देशभर के 4500 से अधिक शहरों का मूल्यांकन किया गया।


मदुरै (Madurai) का प्रदर्शन:

मदुरै ने कुछ क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया — जैसे:

  • बाजार क्षेत्रों की स्वच्छता

  • जल निकायों की सफाई

  • आवासीय इलाकों की सफाई

हालाँकि, इसे कई प्रमुख मानकों पर कम अंक प्राप्त हुए —

पैरामीटरप्रदर्शन
कचरा प्रसंस्करण बनाम उत्पादन (Waste Processing)4%
सार्वजनिक शौचालयों की स्वच्छता (Public Toilets Cleanliness)3%
घर-घर कचरा संग्रह (Door-to-Door Collection)37%
स्रोत पर कचरा पृथक्करण (Source Segregation)26%
डंपसाइट सुधार (Remediation of Dumpsites)25%

महत्व (Significance):

  • यह सर्वेक्षण भारत में शहरी स्वच्छता की स्थिति पर एक सटीक मूल्यांकन प्रस्तुत करता है।

  • मदुरै का निम्न प्रदर्शन शहरी निकायों के लिए सुधार की दिशा में एक संकेत है।

  • यह रिपोर्ट देश में स्वच्छ भारत मिशन (SBM-U) के लक्ष्यों की प्रगति की निगरानी का एक अहम उपकरण है।

  • सर्वेक्षण नागरिकों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता और भागीदारी को भी बढ़ावा देता है।

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डॉ. साई गौतम गोपालकृष्णन को मिला “मनोहर पर्रिकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार 2025”

परिचय :

नवंबर 2025 में, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु, कर्नाटक के सामग्री अभियांत्रिकी विभाग (Department of Materials Engineering) में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. साई गौतम गोपालकृष्णन को “मनोहर पर्रिकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार (Manohar Parrikar Yuva Scientist Award) 2025” से सम्मानित किया गया।

यह पुरस्कार उन्हें कंप्यूटेशनल मटेरियल साइंस (Computational Materials Science) के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान और जटिल मिश्र धातुओं (Complex Alloys) के मॉडलिंग एवं विश्लेषण में अग्रणी कार्यों के लिए दिया गया।

यह पुरस्कार औपचारिक रूप से 13 दिसंबर 2025 को गोवा में आयोजित मनोहर पर्रिकर विज्ञान महोत्सव (Manohar Parrikar Vigyan Mahotsav) के दौरान राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO) में प्रदान किया जाएगा।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
पुरस्कार का नाममनोहर पर्रिकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार 2025
पुरस्कार प्राप्तकर्ताडॉ. साई गौतम गोपालकृष्णन (IISc, बेंगलुरु)
संस्थानभारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science – IISc), कर्नाटक
सम्मान समारोहमनोहर पर्रिकर विज्ञान महोत्सव, NIO, गोवा (13 दिसंबर 2025)
कार्य क्षेत्रकंप्यूटेशनल मटेरियल साइंस
नकद पुरस्कार₹5 लाख (भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कारों में सबसे अधिक)
प्रारंभवर्ष 2022 में
स्थापित करने वालागोवा सरकार (विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अपशिष्ट प्रबंधन विभाग द्वारा)
समर्पितभारत के पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की स्मृति में

मनोहर पर्रिकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार के बारे में:

  • यह पुरस्कार गोवा सरकार द्वारा 2022 में प्रारंभ किया गया था।

  • इसका उद्देश्य भारत के युवा वैज्ञानिकों को नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी उत्कृष्टता के लिए प्रोत्साहित करना है।

  • यह पुरस्कार भारत के सबसे प्रतिष्ठित विज्ञान पुरस्कारों में से एक है।

  • विजेता को ₹5 लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है — जो भारत के सभी राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कारों में सबसे अधिक है।

  • पहला संस्करण (2023):

    • यह पुरस्कार डॉ. माथवराज एस (U R Rao Satellite Centre, ISRO) को प्रदान किया गया था।

    • उन्हें यह सम्मान चंद्रयान-3 लैंडर परियोजना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए मिला था।


डॉ. साई गौतम गोपालकृष्णन के बारे में:

  • पद: एसोसिएट प्रोफेसर, सामग्री अभियांत्रिकी विभाग, IISc, बेंगलुरु

  • अनुसंधान क्षेत्र:
    वे परमाणु-स्तरीय सिमुलेशन (Atomic-level Simulations) के माध्यम से ऊर्जा, परिवहन और विनिर्माण क्षेत्रों के लिए उन्नत सामग्री विकसित करने पर कार्य करते हैं।

  • नवाचार:
    वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) को सामग्री डिजाइन में एकीकृत करते हुए नई एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) अनुप्रयोगों के लिए नवीन सामग्रियों की खोज को तेज करते हैं।


हाल की संबंधित खबर:

सितंबर 2025 में, आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) ने गोवा में “प्रयास” — भारत का पहला एकीकृत न्यूरो रिहैबिलिटेशन सेंटर (Neuro Rehabilitation Center) शुरू किया।
यह केंद्र ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA) में शुरू किया गया और इसका उद्घाटन केंद्रीय मंत्री प्रतापराव जाधव द्वारा 10वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर किया गया।


महत्व (Significance):

  • यह पुरस्कार भारत में युवा वैज्ञानिकों की नवाचार क्षमता को प्रोत्साहित करता है।

  • डॉ. साई गौतम का कार्य सतत प्रौद्योगिकी (Sustainable Technology) और औद्योगिक नवाचार के लिए महत्वपूर्ण है।

  • यह पुरस्कार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता (Atmanirbharta) को सशक्त बनाने का प्रतीक है।

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हिमाचल प्रदेश को मिला राष्ट्रीय “पीपल फर्स्ट इंटीग्रेशन अवॉर्ड” – नागरिक-केंद्रित डिजिटल सेवाओं के लिए सम्मानित

परिचय :

नवंबर 2025 में, हिमाचल प्रदेश सरकार को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित “पीपल फर्स्ट इंटीग्रेशन अवॉर्ड (People First Integration Award)” से सम्मानित किया गया।

यह सम्मान नई दिल्ली (दिल्ली) में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला और सम्मेलन ऑन डिजी लॉकर 2025 (National Workshop and Conference on DigiLocker 2025) के दौरान प्रदान किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश को नागरिक-केंद्रित डिजिटल सेवाओं (Citizen-Centric Digital Services) के उत्कृष्ट एकीकरण (Integration) के लिए यह पुरस्कार दिया गया।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
पुरस्कार का नामपीपल फर्स्ट इंटीग्रेशन अवॉर्ड 2025
प्राप्तकर्ता राज्यहिमाचल प्रदेश
प्रदान करने वाला मंत्रालयइलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY), भारत सरकार
कार्यक्रम स्थलराष्ट्रीय कार्यशाला एवं सम्मेलन ऑन डिजी लॉकर 2025, नई दिल्ली
पुरस्कार प्राप्त कियाआशीष सिंघमार, सचिव, डिजिटल टेक्नोलॉजीज और गवर्नेंस विभाग (DDT&G), हिमाचल प्रदेश
सम्मानित हेतु कार्यडिजी लॉकर प्लेटफॉर्म पर नागरिक सेवाओं के एकीकरण के लिए
एकीकृत सेवाएँ51 “HIMSeva (e-District)” सेवाएँ, साथ ही “HimParivar” और “HimAccess Card” सेवाएँ
लाभनागरिकों को तेज, पारदर्शी और सुरक्षित सरकारी सेवाएँ उपलब्ध कराना

पुरस्कार के बारे में (About the Award):

  • प्राप्तकर्ता: हिमाचल प्रदेश के डिजिटल टेक्नोलॉजीज एवं गवर्नेंस विभाग (Department of Digital Technologies and Governance – DDT&G) ने यह पुरस्कार प्राप्त किया।

  • पुरस्कार प्राप्तकर्ता प्रतिनिधि: विभाग के सचिव आशीष सिंघमार ने यह सम्मान MeitY के सचिव श्री एस. कृष्णन से प्राप्त किया।

  • सम्मान का कारण:

    • डिजी लॉकर प्लेटफॉर्म पर 51 HIMSeva सेवाओं,

    • HimParivar और HimAccess Card जैसी सेवाओं के सफल डिजिटल एकीकरण के लिए।

  • यह पहल कागज़ रहित शासन (Paperless Governance) को प्रोत्साहित करती है और नागरिकों को सुरक्षित, पारदर्शी एवं सुविधाजनक सरकारी सेवाएँ डिजिटल माध्यम से प्रदान करती है।


महत्व (Significance):

  • यह सम्मान हिमाचल प्रदेश की डिजिटल सुशासन (Digital Governance) के क्षेत्र में उत्कृष्टता को दर्शाता है।

  • डिजी लॉकर पर नागरिक सेवाओं का एकीकरण राज्य में ई-गवर्नेंस (E-Governance) को मजबूत बनाता है।

  • इस पहल से नागरिकों को सेवाओं तक तेज़, सरल और सुरक्षित डिजिटल पहुँच (Digital Access) प्राप्त होती है।

  • यह परियोजना भारत सरकार के “डिजिटल इंडिया” मिशन के उद्देश्यों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।


डिजी लॉकर (DigiLocker) के बारे में संक्षेप में:

  • प्रारंभ: 2015

  • विकसित किया गया: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा

  • उद्देश्य: नागरिकों को उनके सरकारी दस्तावेजों की सुरक्षित डिजिटल कॉपी प्रदान करना

  • सुविधाएँ: ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, और अन्य सरकारी दस्तावेजों की डिजिटल रूप में उपलब्धता


निष्कर्ष (Conclusion):

हिमाचल प्रदेश का यह सम्मान देशभर के राज्यों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। इस पहल से न केवल डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा मिला है, बल्कि नागरिकों के लिए सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी बढ़ी है।

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ESA और Arianespace ने Ariane 6 रॉकेट से लॉन्च किया Copernicus Sentinel-1D पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह

परिचय :

नवंबर 2025 में, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (European Space Agency – ESA) और Arianespace ने Copernicus Sentinel-1D Earth Observation Satellite (EOS) को सफलतापूर्वक Ariane 6 रॉकेट के माध्यम से Low Earth Orbit (LEO) में लॉन्च किया।
यह प्रक्षेपण फ्रेंच गयाना (French Guiana) के गयाना स्पेस सेंटर (Guiana Space Centre, Kourou) से किया गया।

Sentinel-1D उपग्रह, Copernicus Sentinel-1 नक्षत्र (constellation) का हिस्सा है, जो विश्व स्तर पर उच्च-रिज़ॉल्यूशन रडार इमेजिंग (Radar Imaging) में अहम भूमिका निभाता है।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
मिशन नामVA265
लॉन्च तिथिनवंबर 2025
लॉन्च एजेंसीEuropean Space Agency (ESA) और Arianespace
रॉकेटAriane 6
लॉन्च स्थलगयाना स्पेस सेंटर, कुरू, फ्रेंच गयाना
उपग्रह नामCopernicus Sentinel-1D
निर्माताThales Alenia Space
कक्षा (Orbit)Low Earth Orbit (LEO)
प्रकारपृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellite)

लॉन्च के बारे में (About the Launch):

  • मिशन कोड – VA265:
    यह मिशन यूरोप की अंतरिक्ष प्रगति में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो स्वायत्त अंतरिक्ष पहुंच (Autonomous Access to Space) को बढ़ावा देता है और पृथ्वी अवलोकन क्षमता को सशक्त बनाता है।

  • महत्वपूर्ण आँकड़े:

    • यह Arianespace का 356वां प्रक्षेपण था।

    • Ariane 6 रॉकेट का यह चौथा मिशन था।

    • Sentinel-1D सातवाँ Sentinel उपग्रह है जिसे Arianespace ने लॉन्च किया।

    • यह Thales Alenia Space द्वारा निर्मित 109वाँ अंतरिक्ष यान (Spacecraft) था जिसे लॉन्च किया गया।


Sentinel-1D उपग्रह के बारे में (About Sentinel-1D Satellite):

  • अवलोकन (Overview):
    Sentinel-1D उपग्रह Copernicus Sentinel-1 नक्षत्र की पहली पीढ़ी (First Generation) का चौथा और अंतिम उपग्रह है। इसके साथ ही यूरोप का उच्च-रिज़ॉल्यूशन रडार इमेजिंग नेटवर्क अब पूर्ण हो गया है।

  • उन्नत तकनीक (Advanced Imaging):
    इसे Thales Alenia Space द्वारा विकसित किया गया है।
    यह C-band Synthetic Aperture Radar (SAR) (4–8 GHz) से सुसज्जित है, जो पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें दिन या रात, किसी भी मौसम में लेने में सक्षम है।


महत्व (Significance):

  • यह उपग्रह बाढ़, भूस्खलन, हिमनद पिघलने, और समुद्री निगरानी जैसे महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और जलवायु संबंधी अध्ययनों में उपयोगी रहेगा।

  • Sentinel-1D से यूरोप को अपने Copernicus Earth Observation Programme में स्वायत्तता (Autonomy) और डेटा विश्वसनीयता (Data Reliability) में बढ़त मिलेगी।

  • इस मिशन के माध्यम से Ariane 6 रॉकेट की विश्वसनीयता और ESA की तकनीकी क्षमता में भी नया विश्वास जुड़ा है।


निष्कर्ष (Conclusion):

Sentinel-1D का सफल प्रक्षेपण न केवल यूरोप की अंतरिक्ष उपलब्धियों में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह पृथ्वी की सतत निगरानी (Sustainable Earth Monitoring) और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने की वैश्विक क्षमता को भी सशक्त करेगा।

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कर्नाटक के पूर्व मंत्री एवं सांसद हुलेप्पा यमनप्पा मेटी का निधन

परिचय :

4 नवंबर 2025 को, कर्नाटक के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और सांसद हुलेप्पा यमनप्पा (H.Y.) मेटी का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उन्होंने बेंगलुरु (कर्नाटक) में अंतिम सांस ली।
हुलेप्पा मेटी का जन्म 9 अक्टूबर 1946 को थिम्मापुर, बागलकोट ज़िले (कर्नाटक) में हुआ था।


मुख्य जानकारी (Key Details):

विषयविवरण
नामहुलेप्पा यमनप्पा (H.Y.) मेटी
जन्म9 अक्टूबर 1946, थिम्मापुर (बागलकोट, कर्नाटक)
निधन4 नवंबर 2025, बेंगलुरु, कर्नाटक
आयु79 वर्ष
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
समुदायकुरुबा समुदाय
राज्य विधानसभा क्षेत्रगुलेदगुड्डा (1989, 1994, 2004), बागलकोट (2013, 2023)
सांसद (MP)1996 – बागलकोट लोकसभा क्षेत्र
मंत्रिपदवन मंत्री (1994–1998), आबकारी मंत्री (2016)

राजनीतिक यात्रा (Political Journey):

  • हुलेप्पा मेटी कुरुबा समुदाय के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने उत्तर कर्नाटक में जनाधार मजबूत किया।

  • उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बिलकेरूर ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) के अध्यक्ष के रूप में की।

  • बाद में उन्होंने कई स्थानीय संस्थानों में प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं और ग्रामीण विकास (Rural Development) में योगदान दिया।


राज्य राजनीति में भूमिका (Role in Karnataka Politics):

  • मेटी ने 1980 के दशक के अंत में जनता दल से राजनीति में प्रवेश किया।

  • वे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े के करीबी सहयोगी थे।

  • उन्होंने गुलेदगुड्डा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार (1989, 1994, 2004) विधायक के रूप में सेवा दी।

  • जब गुलेदगुड्डा निर्वाचन क्षेत्र समाप्त कर दिया गया, तो उन्होंने बागलकोट से चुनाव लड़ा।

  • उन्होंने 2013 और 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बागलकोट से जीत दर्ज की।


मंत्रिपद और संसदीय भूमिका (Cabinet & Parliamentary Role):

  • उन्होंने 1994 से 1998 तक कर्नाटक के वन मंत्री (Forest Minister) के रूप में कार्य किया।

  • वर्ष 2016 में आबकारी मंत्री (Excise Minister) के रूप में सेवा दी।

  • 1996 में, वे बागलकोट लोकसभा क्षेत्र से सांसद (MP) चुने गए।


स्थानीय प्रशासन एवं विकास में योगदान (Contribution to Local Governance & Development):

  • उन्होंने कृषि उपज विपणन समिति (APMC) और प्राथमिक भूमि विकास बैंक (PLDB), बागलकोट तालुक के सदस्य के रूप में कार्य किया।

  • 2024 में, उन्हें बागलकोट अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (BUDA) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।


निष्कर्ष (Conclusion):

हुलेप्पा यमनप्पा मेटी ने चार दशकों से अधिक समय तक कर्नाटक की राजनीति और जनता की सेवा की।
उनका निधन कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण और अपूरणीय क्षति है।
वे अपनी जनसेवा, विनम्र स्वभाव, और विकास-केन्द्रित दृष्टिकोण के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।

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विश्व सूनामी जागरूकता दिवस 2025 – 5 नवंबर

परिचय :

संयुक्त राष्ट्र (UN) हर वर्ष 5 नवंबर को पूरे विश्व में विश्व सूनामी जागरूकता दिवस (World Tsunami Awareness Day – WTAD) के रूप में मनाता है।
इस दिवस का उद्देश्य सूनामी जोखिमों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देना, और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को सशक्त बनाना है।

वर्ष 2025 में यह दिवस अपनी 10वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया गया।


2025 की थीम (Theme 2025):

“Be Tsunami Ready: Invest in Tsunami Preparedness”
(सूनामी के लिए तैयार रहें: सूनामी तैयारी में निवेश करें)


पृष्ठभूमि (Background):

विषयविवरण
घोषणा (Declaration)22 दिसंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने प्रस्ताव संख्या A/RES/70/203 पारित कर प्रत्येक वर्ष 5 नवंबर को WTAD मनाने का निर्णय लिया।
प्रस्तावक देश (Proposed By)जापान – जिसने सूनामी प्रबंधन में अपना अनुभव साझा किया।
उद्देश्य (Purpose)सूनामी जोखिमों की समझ को बढ़ाना और सेंदाई फ्रेमवर्क फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (SFDRR 2015–2030) के लक्ष्यों को आगे बढ़ाना।
पहला आयोजन (First Observation)5 नवंबर 2016 को पहला WTAD मनाया गया।

5 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है? (Why November 5?):

यह दिन जापान की ऐतिहासिक कथा “Inamura-no-hi” (अर्थात “धान के पूले जलाना”) की स्मृति में चुना गया है।
इस कथा में गाँव के नेता गोर्यो हमागुची (Goryo Hamaguchi) ने 5 नवंबर 1854 को अपने गाँव वालों को सूनामी से बचाने के लिए धान के पूले जलाकर चेतावनी दी थी


कार्यान्वयन (Implementation):

इस दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (UNDRR) द्वारा किया जाता है।
UNDRR इस अभियान को अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और साझेदार संस्थाओं के सहयोग से वैश्विक स्तर पर संचालित करता है।


काहिरा सम्मेलन एवं बहु-जोखिम प्रतिरोधकता मंच (Cairo Commemoration & Multi-Hazard Resilience Forum):

  • तिथि: 9 नवंबर 2025

  • स्थान: सोफिटेल काहिरा नाइल एल गेज़िरा, काहिरा, मिस्र

  • आयोजक:

    • संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण क्षेत्रीय कार्यालय (UNDRR-ROAS)

    • संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) मिस्र

    • मिस्र सरकार (Government of Egypt)

इस मंच का उद्देश्य अरब देशों में बहु-जोखिम लचीलापन (Multi-Hazard Resilience) को बढ़ावा देना और सूनामी सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयारियों को सुदृढ़ करना है।


निष्कर्ष (Conclusion):

विश्व सूनामी जागरूकता दिवस 2025 हमें यह याद दिलाता है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में समुदाय की तैयारी, तकनीकी निवेश और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली कितनी महत्वपूर्ण है।
सूनामी जैसी विनाशकारी घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिए हमें वैज्ञानिक अनुसंधान, स्थानीय प्रशिक्षण, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को निरंतर मजबूत करना होगा।

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केरल ने मेरिडियन टेक पार्क के लिए ₹850 करोड़ का FDI समझौता किया

परिचय :

नवंबर 2025 में, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने घोषणा की कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) स्थित AI मर्जूकी होल्डिंग्स FZC (Artificial Intelligence Marzooqi Holdings Free Zone Company) के साथ ₹850 करोड़ का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) समझौता किया गया है।
इस निवेश के तहत थिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) के टेक्नोपार्क फेज़ III (Technopark Phase III) में मेरिडियन टेक पार्क (Meridian Tech Park) का निर्माण किया जाएगा।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
क्या? (What)UAE स्थित AI Marzooqi Holdings FZC के साथ Letter of Intent (LoI) पर हस्ताक्षर
निवेश राशि (Worth)₹850 करोड़
उद्देश्य (To)टेक्नोपार्क फेज़ III में मेरिडियन टेक पार्क का विकास
विशेषता (Feature)प्रोजेक्ट को LEED Platinum Certification प्राप्त करने का लक्ष्य

समझौते के बारे में (About the LoI):

मेरिडियन टेक पार्क की रूपरेखा:

  • यह परियोजना 90 एकड़ के टेक्नोपार्क फेज़ III कैंपस में 3.5 एकड़ भूमि पर विकसित की जाएगी।

  • इसमें दो 21-मंज़िला टावर (Twin Towers) शामिल होंगे, जिनमें 1 मिलियन वर्ग फीट से अधिक निर्मित क्षेत्र होगा।

सतत विकास (Sustainability):

  • यह परियोजना एक ऊर्जा-कुशल और पर्यावरण-हितैषी टेक्नोलॉजी हब के रूप में तैयार की जा रही है।

  • LEED Platinum प्रमाणन प्राप्त करने के उद्देश्य से इसका डिज़ाइन बनाया गया है।

  • फ्लोर एरिया रेशियो (FAR 7) ज़ोनिंग के तहत ऊँची इमारतों वाला यह मॉडल भूमि के कुशल उपयोग (Optimized Land Use) का उदाहरण होगा।


रोजगार सृजन (Job Creation):

परियोजना के संचालन शुरू होने पर, यह आईटी और संबद्ध क्षेत्रों में 10,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर उत्पन्न करेगी।
यह केरल सरकार के “Knowledge Economy Mission” के अंतर्गत उच्च तकनीकी रोजगार विस्तार के लक्ष्य को भी प्रोत्साहित करेगी।


निष्कर्ष (Conclusion):

यह ₹850 करोड़ का विदेशी निवेश न केवल केरल की आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाएगा बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए भारत के दक्षिणी राज्यों में बढ़ते तकनीकी अवसरों का भी प्रमाण है।
मेरिडियन टेक पार्क राज्य के लिए स्मार्ट, ग्रीन और सस्टेनेबल विकास का प्रतीक बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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महाराष्ट्र बना स्टारलिंक के साथ समझौता करने वाला भारत का पहला राज्य

परिचय :

5 नवंबर 2025 को, महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) ने एलन मस्क (Elon Musk) की स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (Starlink Satellite Communications Pvt. Ltd.), जो स्पेसएक्स (SpaceX) की सहायक कंपनी है, के साथ एक लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते के माध्यम से, राज्य में सरकारी संस्थानों, ग्रामीण क्षेत्रों और महत्वपूर्ण सार्वजनिक ढाँचों को सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाएँ (Satellite-Based Internet Services) प्रदान की जाएँगी।


मुख्य बिंदु (Key Points):

विषयविवरण
क्या? (What)स्टारलिंक और महाराष्ट्र सरकार के बीच समझौता
कब? (When)5 नवंबर 2025
किसके बीच? (Between)महाराष्ट्र सरकार और Starlink Satellite Communications Pvt. Ltd.
उद्देश्य (Objective)सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवाओं की सुविधा प्रदान करना
लक्षित क्षेत्र (Target Areas)गढ़चिरोली, नंदुरबार, Washim और धाराशिव (उस्मानाबाद) जिले
कंपनी की मूल संस्था (Parent Company)SpaceX (एलन मस्क की कंपनी)

परियोजना का उद्देश्य (Project Objective):

इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्र के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाना है, जहाँ पारंपरिक नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध नहीं है।
यह पहल राज्य सरकार की डिजिटल महाराष्ट्र मिशन (Digital Maharashtra Mission) और भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल (Digital India Initiative) के अनुरूप है।


महत्व (Significance):

  • यह समझौता महाराष्ट्र को भारत का पहला राज्य बनाता है जिसने Starlink के साथ सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के लिए औपचारिक समझौता किया है।

  • परियोजना के तहत सरकारी स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत कार्यालय और ग्रामीण समुदाय उच्च गति इंटरनेट से जुड़ेंगे।

  • इससे डिजिटल शिक्षा, टेलीमेडिसिन, ई-गवर्नेंस और ग्रामीण उद्यमिता को नई गति मिलेगी।


स्टारलिंक के बारे में (About Starlink):

  • स्टारलिंक एलन मस्क की SpaceX द्वारा संचालित एक सैटेलाइट नेटवर्क सेवा है।

  • यह पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में हजारों सैटेलाइट्स के माध्यम से हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करती है।

  • इसका उद्देश्य विश्व के उन क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी पहुँचाना है जहाँ पारंपरिक नेटवर्क उपलब्ध नहीं है।


निष्कर्ष (Conclusion):

महाराष्ट्र और स्टारलिंक के बीच यह समझौता भारत में सैटेलाइट इंटरनेट युग की शुरुआत का संकेत है।
यह पहल न केवल ग्रामीण डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाएगी, बल्कि राज्य के समावेशी विकास (Inclusive Development) की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगी।

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